रेल बजट कहां खो गया और सरकार क्यों नहीं बंद कर पाती सब्सिडी? देखिए बजट गुरुकुल में Professor Alok Puranik के साथ-
सरकार हर साल बजट में आय और खर्च से जुड़े बड़े-बड़े आंकड़े पेश करती है.
केंद्र सरकार की मनरेगा एक ऐसी स्कीम है जिसे कोई पसंद नहीं करता फिर भी चल रही है. हर सार बजट आवंटन को लेकर यह योजना खूब चर्चाओं में रहती है.
अपने खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज लेती रहती है. इसका भुगतान आपकी जेब से ही किया जाता है.
सरकार बजट में घाटे पर घाटे दिए जाती है. तमाम लोग इस घाटे को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं लेकिन सरकार मजे में चलती रहती है.
अंग्रेजों के लिए रेल बहुत महत्वपूर्ण थी. इसीलिए उन्होंने अलग से रेल बजट शुरू किया. ये सिलसिला 2016 तक चला. इसके बाद रेल बजट आम बजट का हिस्सा हो गया.
अगर आप जानना चाहते हैं कि इस दरियादिली के लिए सरकार के पास पैसा कहां से आते है तो पहुंच जाइए Professor Alok Puranik की बजट गुरुकुल में-
सरकार ने बरसों पहले निवेश करके जो इकाइयां स्थापित की थीं अब उनमें से कई इकाइयों को बेच रही है. इस प्रक्रिया को विनिवेश यानी Disinvestment कहते हैं.
सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कई तरह के टैक्स वसूलती है. इन करों से मिलने वाली रकम को रेवेन्यू कहते हैं.
संसद में बजट के साथ फाइनेंस बिल भी पेश किया जाता है. क्यों पेश किया जाता है फाइनेंस बिल, क्यों जरूरी होता है यह बिल?